मेरी गुडीया
मेरी गुडीया
सुंदर बड़ी है गुड़िया मेरी
लगती है वो बड़ी कमाल,
मोटी-मोटी आँखें उसकी
और गोरे हैं उसके गाल,
मेरी गुड़िया कभी न रोती
हरदम वो हस्ती ही रहती,
टुकुर-टुकुर वो देखे सबको
नहीं किसी से कुछ है कहती,
पहने रहती बढ़िया गहने
बड़े गजब हैं उसके शौक,
कपड़े उस पर हैं रंग-बिरंगे
लहंगा-चुन्नी और फिराेक,
संग मेरे वो सदा ही रहती
जागूँ चाहे मैं या फिर सोऊँ,
है मेरी वो सच्ची साथी
हँसू चाहे मैं या फिर रोऊँ,
p>सारा दिन बस बैठी रहती
करती नहीं वो कुछ भी काम,
जो जी चाहे मैं उसे पुकारूँ
अलग-अलग हैं उसके नाम,
न ही वो खाती है कुछ भी
न पीती दूध,न पानी पीती
फिर भी है वो मोटी ताजी
बस हवा पर वो है जीती,
अपनी गुड़ीया के जैसे हूँ,मैं
अपने माँ-पापा की गुड़ीया
करती नहीं है वो तो शैतानी
पर,मैं हूँ आफत की पुड़िया,
बहुत प्यार करते वे मुझको
हरदम रखते वे मेरा ध्यान
मैं भी जान हूँ माँ-पापा की
जैसे,मेरी गुड़िया है मेरी जान।