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Rashmi Singhal

Fantasy

3  

Rashmi Singhal

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मेरी गुडीया

मेरी गुडीया

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सुंदर बड़ी है गुड़िया मेरी

लगती है वो बड़ी कमाल,

मोटी-मोटी आँखें उसकी

और गोरे हैं उसके गाल,


मेरी गुड़िया कभी न रोती

हरदम वो हस्ती ही रहती,

टुकुर-टुकुर वो देखे सबको

नहीं किसी से कुछ है कहती,


पहने रहती बढ़िया गहने

बड़े गजब हैं उसके शौक,

कपड़े उस पर हैं रंग-बिरंगे 

लहंगा-चुन्नी और फिराेक,


संग मेरे वो सदा ही रहती

जागूँ चाहे मैं या फिर सोऊँ,

है मेरी वो सच्ची साथी

हँसू चाहे मैं या फिर रोऊँ,


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p>सारा दिन बस बैठी रहती

करती नहीं वो कुछ भी काम,

जो जी चाहे मैं उसे पुकारूँ

अलग-अलग हैं उसके नाम,


न ही वो खाती है कुछ भी

न पीती दूध,न पानी पीती

फिर भी है वो मोटी ताजी

बस हवा पर वो है जीती,


अपनी गुड़ीया के जैसे हूँ,मैं 

अपने माँ-पापा की गुड़ीया

करती नहीं है वो तो शैतानी

पर,मैं हूँ आफत की पुड़िया,


बहुत प्यार करते वे मुझको

हरदम रखते वे मेरा ध्यान

मैं भी जान हूँ माँ-पापा की

जैसे,मेरी गुड़िया है मेरी जान।



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