सुकून की तलाश में
सुकून की तलाश में
दिल करता है
कभी कभी
शहर के शोर से दूर
इन जंगलों में खो जाऊँ
तुम्हारे साथ।
न कोई आवाज पीछा करें
न लोग कोई साथ रहे
सब जिम्मेदरियां
कुछ पल को भूल
गुम हो जाऊं।
इन शांत खड़े वृक्षों के नीचे
कुछ सुकून के लम्हे बिताऊँ
तेरे कांधे में सर रख
ले लूँ हल्की झपकी
बस यूँ ही पूरी जिंदगी।
निश्चिन्त हो लहराऊँ
इन पत्तियों के साथ
और तेरा हाथ थामे
मिलों चलूँ।
इस हरियाली के बीच
और राह ही न मिले
बाहर तक जाने की।