याद
याद
हाँ ! मुझे सब याद है।
तू भूल गया होगा पर तेरे साथ बिताई हर बात मुझे याद है।
हाँ ! मुझे सब याद है।
क्या याद है वो दिन?
जब समंदर किनारे तेरे कंधे पर सर रख बैठा करती थी,
वो जब जान बूझ कर स्कूटी पे तुझे पकड़ कर सोया करती थी।
क्या याद है वो दिन?
जब तेरे लिए तैयार हो घंटो इंतज़ार में किया करती थी,
वो जब मासूम सा चेहरा बना सारी डाँट में सुना करती थी।
क्या याद है वो दिन ?
जब पूरी रात तेरे साथ ऑफिस में बैठा करती थी,
वो जब ज़िद कर के तेरे साथ बारिश में भीगा करती थी।
क्या याद है वो दिन ?
जब घंटो तेरी बांसुरी की धुन में खोया करती थी,
वो जब अपनी नादानियों से तेरे चेहरे की मुस्कान भी मै बना करती थी।
क्या याद है वो दिन?
जब तेरा साथ पाने के लिए में यूँही नाराज़ भी हूँआ करती थी,
वो जो तेरे हर झूठ को सच और सच को झूठ में मन करती थी।
क्या याद है वो दिन?
जब तेरी कहानिया सुन कर में फ़ोन पे सोया करती थी,
वो जब तेरे दर्द में तेरे संग में भी रोया करती थी।
अब शायद तुझे मालूम न हो!
पर आज भी सोते वक़्त सिर्फ करवाते में बदला करती हूँ।
आज भी खाने पे तेरा इंतज़ार में किया करती हूँ।
आज भी तेरी याद में किसी कोने में रोया करती हूँ।
आज भी तुझे किसी और की भाहो में देखा करती हूँ।
माना... तू खुश है मेरे बिना।
पर आज भी सब कुछ भूल कर तुझसे मोहब्बत करने का गुनाह में किया करती हूँ।