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Bhavna Thaker

Romance

4  

Bhavna Thaker

Romance

याद

याद

1 min
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दिल की छत पर मेला लगता है

तुम्हारी यादों का 

मैं जश्न मनाते आँखों में भरती हूँ

तुम्हारे संग बीते हर लम्हों के रंगीन नज़ारे !

 

यादों की बारिश चुस्की अश्कों की 

बिस्तर एहसास का, चद्दर मुस्कान की,

सीलबटें सजती है साँसों की महक से !


रात के मद्धम बहते पहर में

ख्यालों की लाली सी

मखमली मेहंदी रचती है

रोम-रोम जब याद आती है

एक शाम चुंबन सजी 

हाँ वो शाम पहले स्पर्श के

अनूठे एहसास की !


वो तुम्हारा करीब आना,

हया की लाली से झुके मेरे

रुख़सार की नमी को

हौले से उठाकर अपनी

हथेलियों से मेरे भाल पर


लबों से मोहर लगाते पीना !

पसीज जाता है तन-मन यादों की

आग जब झड़ी लगाते बरसती है !


पहले इश्क का तोहफा 

ये अंगूठी में सजा गौहर रिझाता है

तस्वीर ए जाना का भ्रम लुभाता है,

हंसते हो तुम गौहर में

बसे जब देखूँ छवि तुम्हारी !


मेरे सतरंगी खयालों से जलता 

चाँद हंसता है,

मैं छिन लेती हूँ छोटा सा टुकड़ा

उसके उजले तन से,

बिसात क्या उसकी मेरे मनमीत के आगे !


छिप गया वो आधा अधूरा

दूज का मारा,

जब मैं रिक्त सी तुम बिन

वो कैसे खिलखिलाए पूरा।


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