याद तो करते
याद तो करते
हम आम भी नहीं
और खास भी नहीं
पर कुछ तो जरूर हैं
जिसका हमें फख्र है।
आये है जग में तो जीना पड़ेगा
ज़िंदा जो है उसे मरना भी पड़ेगा
पर जीना नहीं मर मर के
जिएंगे हम मौज से और सफर भी होगा धूमधाम से।
क्यों करे लोग भरोसा?
जब आप ने ही नहीं सोचा!
तो कोई क्यों देगा पोचा?
अब तो आप हो गए चाचा।
हरकत की बचकावे में
आ गए लोगों के बहकावे में
नहीं की परख अपने और पराये में
अब तो बस घर भी लेना पड़ा है किराये में।
गुंजाइश अब नहीं कुछ बदलाव लाने की
मर चुकी है ख्वाहिश सैलाब लाने की
अब तो कट रही है जैसे तैसे
पर जज्बा कायम है वैसे।
क्या रहेगा मेरा वजूद मिट जाने के बाद ?
लोग कोई क्यों सोचेंगे ओर करेंगे याद
हमे नहीं करना था ज्यादा विवाद
लोग याद तो करते मरने के बाद।