याद आते हैं।
याद आते हैं।
याद आता है जमाना जब,
दूर दराज जाना होता था।
पैदल चल थक चुका था,
पैरों में दर्द जन रोता था।।
खोज डाला वो बैलगाड़ी,
हवा में जैसे बातें करता।
बैठ गाड़ी सुख दुख बातें,
वो वक्त थकान हरता था।।
बदल गया था वो जीवन,
शादी भी गाड़ी से होती।
आनंद की पराकाष्ठा पर,
पति पत्नी नींद में सोते।।
जाना होता जब भी कहीं,
बस बैलगाड़ी खड़ी मिले।
बैलों की जोड़ी सम्मुख में,
अपार सुख की घड़ी मिले।।
विज्ञान ने चमत्कार किये,
यूं गायब हो गई बेचारी।
बैलों की कद्र घट गई है,
देख देखकर दुनिया हारी।।
अतीत की चीज बन गई,
बैलगाड़ी ढूंढे नहीं मिलती।
नजर आये अगर एक बार,
मन की कलियां खिलती।।
