STORYMIRROR

Dr. Pradeep Kumar Sharma

Classics Inspirational Children

4  

Dr. Pradeep Kumar Sharma

Classics Inspirational Children

वर्षा

वर्षा

1 min
302

लो भैया वर्षा के दिन आए।

चारों ओर मेंढक अब

टर्र-टर्र कर खूब गाते हैं।

चुन्नी-मुन्नी टिंकू-बंटी

पानी में कागज के नाव बहाते हैं।


हाथों में सबके छतरी सुहाए

लो भैया वर्षा के दिन आए।

चम-चम चमकती है बिजली

गरजते हैं राक्षस बादल।


पसीने की हो गई छुट्टी

क्योंकि गर्मी हो चुका घायल।

गरम चाय-समोसे खूब रंग जमाए।

लो भैया वर्षा के दिन आए।


घर में दिखता अब नहीं

मेहनती बहादुर किसान।

धरती माता को खिला रहा

मूंग, उड़द, मूंगफली, धान।


अर्र त त त् जमकर वह गाए।

लो भैया वर्षा के दिन आए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics