प्यासा है सावन यहाँ, कौन बुझाये प्यास तड़प रहे हैं लोग अब, पर मेघा है पास। प्यासा है सावन यहाँ, कौन बुझाये प्यास तड़प रहे हैं लोग अब, पर मेघा है पास।
अब अम्मा नहीं रही रह गई है शेष उनकी स्मृतियाँ और अम्मा का वो आँगन। अब अम्मा नहीं रही रह गई है शेष उनकी स्मृतियाँ और अम्मा का वो आँगन।
करो सम्मान अन्नदाता का करो सम्मान अन्नदाता का
तब धीरे-धीरे जल उठेगा धू-धूकर आग। तब धीरे-धीरे जल उठेगा धू-धूकर आग।
छपर छिपीर पानी में कबरै बिहनिया जोंकवा से डर गेलय छोटकी बहिनियां छपर छिपीर पानी में कबरै बिहनिया जोंकवा से डर गेलय छोटकी बहिनियां
लेकिन यह मजदूर नहीं रहता महल में ना ही खाता है अपना रोपा हुआ धान लेकिन यह मजदूर नहीं रहता महल में ना ही खाता है अपना रोपा हुआ धान