नेताजी साहब, सरकार में तो हैं
नेताजी साहब, सरकार में तो हैं
अच्छे हैं, बुरे हैं,
रफ्तार में तो हैं,
नेताजी साहब,
सरकार में तो हैं।
सुखी सी आँतें थी,
भूखी आवाम की,
सपने दिखाते थे,
गेहूँ की धान की।
कहते थे बिजली,
मुझे भी सताती है,
पानी है महँगी,
गले तक न आती है।
बनाओगे नेता,
ना डॉक्टर भगाएगा,
भीखू का बेटा,
इंजिनीयर हो जाएगा।
पर बनते हीं नेता,
भुलाते हैं वादे,
घोटालों में फँसते,
हैं बातें बनाते।
मन्दिर का किस्सा ,
पुराना उठाते हैं,
फिर आते चुनावों के,
ऐसे रिझाते हैं।
भूखी थी आँते जो,
फेंकन किसान की,
नेताजी खाना
खिलाते प्रभु राम की।
फिर मंदिर के चर्चे,
अखबार में तो है,
नेता जी साहब,
सरकार में तो हैं।
अच्छे हैं, बुरे हैं,
रफ्तार में तो हैं,
नेताजी साहब,
सरकार में तो हैं।