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Aishani Aishani

Tragedy

4  

Aishani Aishani

Tragedy

वो रात

वो रात

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वो रात

कैसे भूलूँ..? 

पता नहीं 

रात इतनी

भयानक थी

या फिर...! 


उस रात 

बाहर कितना

प्रकाश था

पर भीतर

सारा अंधकार

उतर आया था


सच सच बता

ऐ ज़िंदगी

तू क्यूँ 

आई थी 

ऐसे रूप में...? 


उफ़्फ़्फ़..! 

कितना मुश्किल था

पल पल बिताना

क्या सोच लेकर

आई होगी तू

नहीं जानती

पर रूह तक

थर्रा उठती है


उस रात को

जब भी सोचती हूँ

और 

विश्वास उठ 

जाता है...!


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