वो पल दुबारा चाहिए।
वो पल दुबारा चाहिए।
जिंदगी बोझिल हुई है एक सहारा चाहिए।
नाव है मझधार में कोई किनारा चाहिए।
है अंधेरी रात में कड़कें गगन में बिजलियां
इस गरजते सिंधु में संग तुम्हारा चाहिए।
एक सुंदर कुसुम कली जो मुस्कुराती नेह से
खिल खिलाती हंसी को गगन सारा चाहिए।
हर तरफ मजबूरियां है हर तरफ तनहाइयां।
दो घड़ी को ही सही दिलकश नजारा चाहिए।
आ चलें हम उस जहां में रंजो गम न हो जहां
तुम्हारे प्यार से रंगे हुए वो पल दुबारा चाहिए।

