वो गुज़रा हुवा वक्त आपके साथ ।
वो गुज़रा हुवा वक्त आपके साथ ।
बीते हुए दिन बिताए मैंने जो थे आपके साथ वो पल बड़े याद आते हैं
उस दिन से जब हम दोनों मिले एक दूसरे को पहली बार थे
जो पल थे कभी बहुत खुशहाली दिल को छू लेने वाले मन को बहलाने वाले
खुशियां देने वाले वो पल आते आज भी बहुत याद है
हुआ करता था पहले वक्त ऐसा जब हो कर आमने सामने आस पास एक दूसरे के रेहते थे
एक दूसरे से दूर हो कर एक दूसरे के जान पहचान रहना चाहते थे एक दूसरे से अंजान
आज वक्त ऐसा है की सच्चाई में असलियत में हो कर एक दूसरे से दूर ना हो कर
एक दूसरे के आमने सामने और आस पास करते एक दूसरे को महसूस अपने पास
जैसे कभी हुए ही नहीं हम एक दूसरे से दूर हमेशा से थे आमने सामने और एक दूसरे के
आस पास बस वक्त हमारा नहीं देता साथ की मिल पाए एक दूसरे से
हम ऐसा करवाता पसंद आपकी हमें महसूस ।
याद करती हूं आज वो पहली मुलाकात वो पिछली बातें बीते हुए यादें जो बसा है मन में
और करते हम दिल में अपने एहसास उन यादों में बसे भावनाएं को
कितने अनोखे मासूम और खुशहाली पल थे वो जो देते थे हमें सुकून जब थे
हम एक साथ और हो गए एक दूसरे से बहुत दूर सिर्फ रह गए हम यादों में अपने एक दूसरे के साथ
है नहीं हमको पता न जाने कब होगी हमारी एक दूसरे से मुलाकात जब होंगे हम
आमने सामने ना की ऑनलाइन वीडियो कॉल पे बात जो देती नहीं वो पहले जैसे
एहसास जब थे एक दूसरे के साथ थे हम आस पास
वो वक्त है नहीं ज़्यादा पुरानी जब हुयी थी हम दोनों की एक दूसरे से पहली बार मुलाकात है
वो बात एक साल पुरानी मगर वक्त हमने बिताए हैं एक दूसरे के साथ
इतने लगता है जैसे सालों से थे हम एक साथ
लगता है ऐसा जैसे हम थे सालों से साथ में एक दूसरे से और यहां कुछ पलों की
दूरियां कुछ दिनों महीनों के फासले लगते हैं कई सालों की दूरियां जो है बर्दाश्त के बाहर हमारे ।
याद है मुझे वो आपकी हर एक पसंद जो कभी बताया था नहीं मुझे आपने
लेकिन लगा था लिया हमने पता उसका अपने आप बिना दिलाए आपको उसका ज़रा सा भी एहसास
वो पहली मुलाकात जहां हम जानते तो थे एक दूसरे को मगर कभी की नहीं थी
आपस में बात जो की हुई शुरू जब किए हम दोनों के सामान्य दोस्तों ने
एक दूसरे से बातें करवाने की ज़बरदस्ती
ली थी उन्होंने आपस में ठान की हर हालत में वो करवाएंगे हम दोनों की एक दूसरे से बात करवाएंगे
वो हमारी एक दूसरे से अच्छे से मुलाकात चाहे जो हो बात
रख कर हम दोनों को एक दूसरे से अंजान बुलाया हमें एक ऐसी जगह पे जहां जाते
हम थे रोज़ाना था हमारा वो दोस्तों का अड्डा बस फर्क था इतना
ये वक्त था दूसरा जहां कभी हम दोनों गए थे नहीं उस वक्त पर
था नहीं हमें अंदाज़ा आखिर चल क्या रहा था मन में उनके जो बुलाया था हमें
इस वक्त जहां होता नहीं कोई वाहन होता है वो जगह बिल्कुल सुनसान छाया है
रेहता उस जगह पर हर दोपहर में हमेशा सन्नाटा ।
पहुंच थे हम भी गए वहां पर कर रहे थे हम उस जगह के प्रवेशद्वार पर इंतज़ार
अपने दोस्तों अपने साथियों के की आयेंगे वो कब, जब वो आयेंगे तब जाएंगे।
हम अंदर एक साथ लेकिन थे तब आप अंदर हीं इंतज़ार में उनके खड़े थे
जब बीत गए समय हो गए आधे घंटे आने के आपके हुई एक बात इत्तफाक की
जैसे हम जाने लगे अंदर सोच कर ये की शायद है हमारे सभी दोस्त अंदर क्यों की हो गया है
समय इतना करते नहीं वो कभी इतनी देर
आने लगे आप तुरंत बाहर देखने के लिए ये की आखिर रेहे कहां गए सारे दोस्त हमारे कहीं कर तो
नहीं दी उन्होंने मुलाकातें रद्द क्यों अंदर होती नहीं थी कोई नेटवर्क जिसके वजह से था नहीं लगा
उनको मेरा भी कॉल
ऐसे ही बीच चौराहे पर हुयी हम दोनों की एक दूसरे से मुलाकात हो कर सामने
एक दूसरे के नहीं जानते थे क्या करनी है बात चुराने लगे हम एक दूसरे से नज़र ।
तब हो कर हम एक दूसरे के सामने बड़ी मुश्किल से जुटा कर हिम्मत कोशिश की करने की
एक दूसरे से बात जब की उस वक्त हुआ ये की बोल पड़े हम दोनों एक साथ एक ही समय पर
लगा था वो इतना अजीब की फिर हम दोनों पड़ गए खामोश एक दूसरे के सामने और
चुराने लगे फिर से एक दूसरे से नज़र पड़ गए थे हम इस सोच में की क्या पूछेंगे हम उनसे
और क्या होगा उनके पास हमारे सवाल का जवाब और अगर ना हुआ हो तो कहीं ना हो जाए
वो शर्मिंदा और करने लगे वो अजीब महसूस
फिर भूल कर पहली बार की शर्मिंदगी की हम दोनों ने फिर से एक दूसरे से बात करने की कोशिश
और जब फिर से हुए हालात पहले जैसे तब हमने कहा पहले आप कहिए फिर हम बोलेंगे
ऐसे हम दोनों कुछ ही देर तक करते रहे फिर हो कर मुझसे परेशान बोले वो
पहले की कर क्या रहे थे हम वहां पर अकेले जब कहा हमने कर रहे थे
हम दोस्तों का इंतज़ार आई पुरी बात समझ में हम दोनों को की क्या थी
उनकी योजना ऐसे शुरू हुई हमारी बातें बाद के पहली मुलाकात के इसीलिए
कहती हूं मैं फिर से बड़े याद आते हैं वो दिन वो गुज़रा हुआ वक्त आपके साथ ।

