वजूद
वजूद
मासूम सी अल्हड़ मस्तियों को,
बचपन की गलियों में छोड़ आये हैं,
हर राह पर कामयाबी पाने के लिए,
अपनों की दुआ साथ लाए हैं,
कुछ कर गुज़रने की दहलीज़ पर,
मन के विश्वास से कदम बढ़ाए हैं,
अरमानों की महफ़िल से गुज़रते हुए,
दिल की चाहत ने कुछ सपने सजाए हैं,
दुनिया की भीड़ में कुछ खास वजूद बनाकर,
प्यार के दामन में सपनो की हकीकत बनाए है,
कुछ मुश्किलों के घने अंधेरे में भी,
एक उम्मीद लिए तारों की तरह झिलमिलाए हैं,
संघर्ष की आग में खुद को तराशकर,
मुकम्मल शख्सियत की पहचान बनाए हैं,
सारे जमाने से जुदा कुछ ऐसे नज़्मों के गीत,
अपनी ज़िन्दगी में हमने गुनगुनाए हैं,
जिनके सुरों की आवाज से ये दुनियां सदा ही,
मेरे वजूद को खुद में कहीं छिपाए हैं!