तेरा एहसास
तेरा एहसास
क्यों तेरा मिलना एक अधूरा सपना सा लगे है
फिर भी तेरा एहसास मुझे अपना सा लगे है,
तू मेरे साथ कहीं नहीं है
फिर भी तेरा साया मेरे साथ हर लम्हा लगे है,
जिसमे तेरा ख्याल नहीं
वो ख्वाब भी मुझे तन्हा सा लगे है,
अनजाना है तेरा हर अक्स मुझसे
फिर भी मुझे तुझसे दिल का एक रिश्ता सा लगे है,
जुड़ न सके जो कभी मुझसे
तू मेरे जीवन का ऐसा हिस्सा लगे है,
कोई याद नहीं है तेरी मेरे जीवन में
फिर भी मेरे हर पल में
तेरे ही ख्यालों का बसेरा लगे है,
अनकही-अनसुनी बातों में मेरी
नाम सिर्फ तेरा ही लगे है,
क्यों तेरे एहसासों की गहराई में जीना ही
अब इस ज़िन्दगी का फैसला लगे है,
फिर भी तुझसे मेरा जमीं-ओ-आसमां
सा फासला लगे है