आज की नारी
आज की नारी
आज की नारी अबला
नहीं सबला है
सदियों से अनसुलझा
सा एक मसला है
जिसने समझा उसके लिए
दुर्गा है काली है
जो न समझे उसके लिए
विनाश का एक रुतबा है ।
आज की नारी अबला
नहीं सबला है
सदियों से अनसुलझा
सा एक मसला है
जिसने समझा उसके लिए
दुर्गा है काली है
जो न समझे उसके लिए
विनाश का एक रुतबा है ।