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S Ram Verma

Romance

3  

S Ram Verma

Romance

वजूद का हिस्सा !

वजूद का हिस्सा !

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मेरे ख़ुदा चाहे किसी भी सूरत 

चाहे पर उसे मिला मुझ से 

या फिर तू ऐसा कर मुझे भी  

जुदा कर दे अब तू मुझ से

  

मेरे वजूद का हिस्सा न रख 

अब और जुदा मुझ से 

वरना तू ही सोच तुझे 

ख़ुदा कहूँगा अपने किस मुँह से 


वो चाहता तो कई 

सितारे तराशता मुझ से

शायद उसे सितारे पसंद नहीं 

वरना वो यूँ दूर न रहता मुझ से 


वो एक ख़त जो लिखा 

ही नहीं गया मुझ से 

वो अध लिखा ख़त आज 

भी मांगता है बाकी अनकहे 

सारे लफ्ज़ मुझ से 


किस की क्या मजाल जो  

उस को छीनता मुझ से

गर वो ही नहीं चाहता

दूर जाना मुझ से 

 

अभी ख़फ़ा है मोहब्बत 

का वो ख़ुदा मुझ से 

तभी तो अता नहीं करता  

वो मेरी चाहत का फल मुझ से !


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