विश्वासघात
विश्वासघात
मानव से मानव का प्रेम, विश्वास से ही बन पाता है।
जो करे विश्वासघात, वह पापी कहलाता है।
लाज न आई उसे, तोड़ दिया विश्वास मेरा,
छीन ली ख़ुशियाँ हमारी, कह दिया कुछ नहीं है तेरा।
वे कहते हैं उन्हें नदियों से प्रेम है,
मगर वे जब भी करीब जाते है,
छोड़ देते है नदियों में,
अपनी जूठन, अपने गुबार,
और कर देते नदी से विश्वासघात हर बार।
वे कहते है उन्हें प्यार है फूलों से,
मगर अपनी खुशी के लिए,
वे उजाड़ देते अक्सर बाग,
पैरों तले मसल देते है अपना प्यार,
और कर देते हैं फूलों से विश्वासघात हर बार।
वे कहते है उन्हें प्यार है जंगलों से,
मगर अपना आशियाँ बनाने के लिए,
वे काट देते है पेड़ों को,
उजाड़ देते है जंगलों का घर- बार,
और कर देते है जंगलों से विश्वासघात हर बार।
वे कहते है उन्हें जीवन से प्यार है,
मगर अपने, मैं को जीताने के लिए,
घोल देते है नफरतों का ज़हर,
कर देते है रंजिशों का रक्त संचार,
और कर देते है जीवन से विश्वासघात हर बार।
वे कहते है उन्हें प्यार से , बहुत प्यार है,
मगर झूठ और धोखे का खंजर,
अक्सर घोप देते है प्यार की पीठ में,
जला देते हैं प्यार की आत्मा ,
और कार देते विश्वासघात प्यार से।