विरह वेदना के पल
विरह वेदना के पल


खोयी है धड़कनें सांसें उदास है
तेरी आहट तेरी खुशबू आस पास है
चुप है आसमान चुप है नजारे
उन्हें भी तेरे आने की आस है
रातें खामोश हो कर रहा करती है
जो सुबह जल जल कर ढहा करती है
छू कर कभी उसके मन को देखो
चाँदनी विरह वेदना सहा करती है
बारिश की बूँदें कुछ कहती भी है
तेरी अमानत साथ साथ रहती भी है
चुपके से वो कुछ कहती है कानों में
सबसे खूबसूरत है वो जहानों में
तेरी ही परछाई साथ साथ चलती है
चाँदनी भी दरीचे से जब ढलती है
महसूस तेरा साथ हर पल हुआ करता है
फिर क्यूं जुदाई में ये दिल डरा करता है