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निशान्त "स्नेहाकांक्षी"

Abstract

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निशान्त "स्नेहाकांक्षी"

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विपदा के साथी भगवान

विपदा के साथी भगवान

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सुख संपदा के साथी हज़ार,

विपदा के साथी बस इक भगवान।


खुशियों के साक्षी भगवान,

 दुर्दिन के भी भागी भगवान।


फिर काहे चिंतित होत अजान,

जब हर क्षण साथी है भगवान।


 नहीं गलत कभी जिसका अनुमान,

 राजा रंक को परखे एक समान।


जो बुझना हो, परमपिता का ज्ञान,

तज दे काम, क्रोध, लोभ, अभिमान।


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