वीर की वीरता
वीर की वीरता
वीरता मैदानेजंग मे ही नही दिखाई जाती है।
यह कोविडसंग्राम के जुझारू दिनों की बात थी।
चुनौतियो से भरी अधीरता भरी हर दिन रात थी।
बच्चे बूढ़े और जवान सभी लड़ रहे थे बेनाम संग्राम।
डाक्टर, नर्स, बैंकर, सफाई कर्मी, इसके वीर योद्धा अनाम।
मां बहिन बेटी पत्नियों ने, घरेलू मोर्चा संभाल रखा था।
सैनीटाइजर, मास्क, सफाई जैसे, हथियार सजा रखा था।
कैद हो गये थे घर में, दूभर हंसना, भय से मरते जीते थे।
कर याद भयावह मंजर को, कांप रूह, हाथ धोते थे।
करें न कभी प्रकृति से खिलवाड़ महंगी पड़ जाती है।
मास्कबंद नाक, दूध छठी का याद दिला जाती है।
जीवन अनमोल, पंचतत्व का क्या मोल, सीख दे जाती थी।
आक्सीजन की कमी ने, बता प्राणवायु औकात दी थी।
वीरता मैदानेजंग मे ही नही दिखाई जाती है।