विदाई की घड़ियां
विदाई की घड़ियां
लो,विदाई की घड़ियां
ऑन पहुंची।
याद करो दोस्तों,
आज से दो वर्ष पूर्व
जब हमने
नई उमंगें
नईं उम्मीदें
नई तंरगें
मन में संजोए
कॉलेज में प्रवेश लिया था और
तुमने हमारा स्वागत
रैगिंग से किया था।
किसी को चार चक्कर लगावाए
किसी को टॉयलेट में घुसाया
किसी से दंड बैठक निकलवाए
किसी से नाक रगड़वाया।
एक से पार्टी के पैसे ठगे
दूसरे का चेहरा रंगाया।
यहीं तक सीमित नहीं था
उस दिन बहुत कुछ हुआ था।
तुम सीनियर, हम जूनियर
डरा धमकाकर
हम पर अपना सिक्का जमाया
हम कॉलेज के वातावरण से अनभिज्ञ
तुम हमें हमारे दुश्मन दिखे।
कुछ ही दिनों में तुम्हारे भीतर बहती प्रेम लहर ने
हम सब को बांध लिया।
सुख दुख के क्षणों में पूरा साथ दिया।
अपने पूरे पूरे नोटस दे कर
हमारी मदद की
हर कदम पर गाइडंस दी
तब से अब तक हमने
कदम से कदम मिलाया
पढ़ाई में, खेलों में,
समारोहों में, हड़तालों में।
तुम्हें विदा करते हुए
मन बहुत भारी है
परंतु विदाई के क्षणों को और
भारी न करेंगे
लंबे लंबे भाषणों और उपदेशों से।
जानते हो, बंधु
क्षणों का भार सहना कितना कठिन होता है।
तुम्हारी नई राहों पर
हमारी शुभकामनाएं
फूलों सी बिछी रहें
हर मोड़ पर सफलता मिले
तुम्हारी प्रत्येक इच्छा पूर्ण हो
पैसों का कभी अकाल न पड़े।
कष्ट व दुख कभी नहीं छूए।
एकान्त में बैठ
कभी भूली बिसरी यादें सवार हों,
हमें भी याद कर लेना
हमारे दोस्तों।
