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Sandeep Kumar

Fantasy Children

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Sandeep Kumar

Fantasy Children

वह शरारती है बहुत, शरारत ....

वह शरारती है बहुत, शरारत ....

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वह शरारती है बहुत, शरारत करती है


वह शरारती है बहुत शरारत करती है

दिन भर इधर-उधर और गप्पें लड़ाती है

कुछ कहने पर ऐसे जैसे आग बबूला हो जाती है

लगती दिन भर काम कर थके मरे सी आती है

वह शरारती है.....


मेरे दिल की हर बात को वह समझती है

फिर भी जान बुझ कर हमसे उलझती है

ना चाहते हुए भी उलटफेर करती है

डाट सुनती हैं फिर हंस कर टाल देती है

वह शरारती है.....


बहलाने फुसलाने की प्रयास बड़ी चाव से करती है

वह इतनी तेज तर्रार है कि हमें भी बनाने की प्रयास करती है

कई बार हद से गुजर कर फिर शर्मिंदगी महसूस करती है

और फिर हंस कर मुस्कुरा कर चुप हो जाती है

वह शरारती है.....


वह बड़ी ही बदमाश भी है गलती कर 

दुबक कर चुप ना रह पाती है

और आकर हंस कर कहती है

फिर धिरे से दबे पांव निकल जाती है

वह शरारती है.....


बन संवर कर इतराती इठलाती जबान लड़ाती है

मेरे गुस्से को ना जाने कैसे आने से रोक देती है

शायद वह अनोखी पिस है इसीलिए

मेरी ज्वा भी चलने से पहले उस पर इतराती है

वह शरारती है.....



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