वह मानव
वह मानव
वह मानव ही था
जो जीवन-मृत्यु के भँवर में
उलझा हुआ
क्षितिज पर खड़ा था।
वह मानव ही था
जो जीवन के बीते हुये पलों से
कुछ पल चुराता है और
इस जीवन के
माया जाल से मुक्त हो,
मानव जन्म से उऋण
होने को आतुर है।
वह मानव ही था
जो अपने मोक्ष की
कामना लिये हुये
जीवन और मरण के
क्षितिज के उस पार को
अग्रसर हो रहा है।
वह मानव ही था
जो उलझा हुआ था
जीवन-मृत्यु के भँवर में।।