वे बच्चे !
वे बच्चे !
वे प्लास्टिक ढूंढते बच्चे
वे खाली शराब की बोतल ढूँढते !
वे अपने भूखे पेट की आवाज़ सुनते!
वे रद्दी अखबार ढूँढते बच्चे
वे गले हुए सड़ांध मारते
कूड़े में हाथ डाल कर
अपनी भूख का करते समाधान !
वह बच्चे जो कान्हा की तरह
मक्खन दूध मलाई खा सकते थे
जो दूसरे बच्चों की तरह स्कूल
जा सकते थे
जो बड़े से मैदान में खेलना चाहते थे !
जो मखमली किताबों को पढ़ते हुए
गीत गाना चाहते थे
जो सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेना,
चाहते थे
जो कलम को हथियार बनाकर समस्या से,
लड़ना चाहते थे
पर ग़रीबी के अभिशाप को ढोते हुए
वह श्रम अपनाते हैं
वह घोर विपरीत परिस्थितियों में
बस पेट की भूख के लिए कई बार
बहुत भयानक कदम भी उठाते हैं
काश कि इन कूड़े बीनते हुए बच्चों के लिए
सरकार कोई कदम उठाए
ताकि भूख से बिलखता बचपन
रोटी के लिए कूड़ेदान के डब्बे न उठाए !
काश कि वे अपना बचपन गिरवी रखकर,
बहुत जल्दी ही बड़े लोगों की दुनिया में
शामिल न हो जाए !
काश कि इन काम करते हुए बच्चों को
हम शिक्षा का उपहार दिलाएँ !
काश कि लिखने पढ़ने और खेलने की उम्र में
ये कोई ग़लत कदम न उठाएँ !
काश कि देश के हर बच्चे को मिले शिक्षा का अधिकार !
मिले पढ़ने का सौभाग्य और समाज से असीम प्यार !
