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Madhu Vashishta

Action Inspirational

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Madhu Vashishta

Action Inspirational

वाणी और कर्म

वाणी और कर्म

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 जिसके वाणी और कर्म हो एक जैसे सदा।

भाल उसका ऊंचा रहेगा सर्वदा।

वाणी कुछ है कर्म कुछ है दोनों में जो ना हो मेल।

सौ बनावट कर लो लेकिन सत्य छुपाना नहीं है खेल।

दुनिया से शायद कुछ समय यह चतुराई छिप भी जाए,

लेकिन अकेले में भला मन को क्या समझाओगे?

आत्मग्लानि से भला कैसे पीछा कैसे छुटाओगे।

आईने में भी खुद के आगे कैसे मुंह दिखाओगे।

झूठ बोलकर धोखा करके

शायद कुछ भौतिक वस्तु पा भी जाओगे।

मृत्यु भी तो निश्चित है, झूठ का बोझ लेकर संसार से कैसे जाओगे?

यह सुंदर संसार जितना है बाहर,

उतना ही है तुम्हारे भीतर भी।

कर्मों से अपने मन की सुगंध को

दुर्गंध में क्यों परिवर्तित   कराओगे।

सत्य बोलो वाणी से और कर्म में भी रखो सत्यता।

परमात्मा होगा साथी तुम्हारा,

पा जाओगे तुम अमरता


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