STORYMIRROR

Aditya Narayan Singh

Romance

4  

Aditya Narayan Singh

Romance

वादे

वादे

2 mins
332

चलो आज बहुत से वादे करते हैं ,

कुछ निभाने, कुछ तोड़ देने के इरादे से।

मैं उन वादों की मोतियां बनाकर 

एक माला में पिरोने की कोशिश करूंगा 

और तुम बार-बार जानबूझकर 

तोड़ देना उस माला को जिससे,

कटुता ही सही पर सम्बन्ध बना रहे।

मैं तुमको ढेरों बेनामी पत्र भी लिखूंगा,

और तुम उसको बिना पढ़े ही फाड़ देना,

जैसे हम भगा देते हैं लावारिश बच्चों को,

ये सोचकर कि कोई ना कोई 

तो उद्धार कर ही देगा इनका।

मैं भी,अडिग रहूंगा अपने वादे पर,

लेशमात्र भी कोशिश नहीं करूंगा

हमारे दरवाजों के बीच के अंतराल को

कम करने के लिए, 

अगर किसी भोर में उठकर 

पहुंच जाऊं तुम्हारे दरवाज़े पर,

आवाज़ लगाने से गले के नसों के फट जाने तक,

तुम बने रहना पत्थर दिल,मत खोलना किवाड़, 

और बिल्कुल भी मत

करना संकोच अपने कमरे में वापस लौटने के लिए।

मैं भी रोज मुकर जाऊंगा 

' शाम को पार्क में मिलते हैं ' वाले वादे से ।

तुम भी मत जाना छत पर पूर्णमासी कि चांद को देखने के लिए,

और मैं भी बांध लूंगा काल्पनिक पट्टी 

कहीं बाज़ार में तुमको देखने के बाद।

मेरे कई बार फोन करने के बाद ही, 

तुम एक बार उठाना फोन, मगर बोलना मत,

तुम मन में बोलना , ' क्यों फोन किया ? '

मुझे सुनाई देगा, " कहो, कैसे हो ? "

मैं मन में कहूंगा ," जैसा तुम छोड़ कर गई थी ? "

तुम्हे सुनाई देगा, " बस! ऐसे ही "

"ये भी कोई बात करने का वक्त है " ये बोलकर तुम फोन रख देना, 

मुझे सुनाई देगा " फिर कभी बात करती हूं तुमसे "। 

और यही सोचते सोचते मैं प्रवेश कर जाऊंगा 

उस दुनियां में जहां तुम्हारे मौजूदगी के एहसास के सिवाय कुछ भी नहीं,

मगर एक दूसरे को याद रखने वाले वादे को हमेशा याद रखेंगे दोनो।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance