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Aditya Narayan Singh

Abstract

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Aditya Narayan Singh

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मृत्यु तो केवल बाधा है

मृत्यु तो केवल बाधा है

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समाधान की खोज में जब

उंगलियां तुमपे उठती हैं,

तुम्हारी लाठियों से

सैकड़ों हड्डियां टूटती हैं।


जड़ें जिनकी कटी हुईं हो

वो कितना टिक पाएंगे,

थोड़ी कोशिश के बाद

खुद ब खुद मर जाएंगे।


क्या उम्मीद दे रहे उनको तुम,

जो उम्मीदों से हारे हैं।

वो क्या लड़ेंगे भगवानों से,

जो सरकारों से हारे हैं

सरकारों के मारे हैं।


खिलाफ खड़ा हो उसे मारा,

क्या सही निशाना साधा है,

ये अंत नहीं ये आधा है मृत्यु तो

केवल बाधा है,

मृत्यु तो केवल बाधा है।


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