ये अंत नहीं ये आधा है , मृत्यु तो केवल बाधा है।
ये अंत नहीं ये आधा है , मृत्यु तो केवल बाधा है।
ये अंत नहीं ये आधा है , मृत्यु तो केवल बाधा है।
मौन तुम बैठे रहो हाथ पे हाथ धर के,
वो लड़की जिन्दा रहेगी बार बार मर के ,
समय का जब चक्र चलेगा भ्रम तुम्हारा टूटेगा
तुम भी परिवार से बिछड़ोगे और घर तुम्हारा छूटेगा ,
हाथ जिनके रंगे है खून से पर लिबास कितना सादा है
ये अंत नहीं ये आधा है मृत्यु तो केवल बाधा है।
बीज लगाया किसी और ने , और फसल तुमने काटी
अपनी अदक्षता को छुपाने , खैरात यहाँ तुम बांटी ,
एक सूरज अस्त हुआ तो चारों ओर शोर हो गया,
नेता रहा ईमानदार और आम आदमी चोर हो गया ?
सुबह दोस्त और शाम को दुश्मन ,
ये सियासत थोड़ी ज्यादा है ,
ये अंत नहीं ये आधा है, मृत्यु तो केवल बाधा है।
पग में तेरे चुभे शूल पर तू अविरल चलता रहे ,
और पुरुष की पहचान यही की डंक सहे हँसता रहे ,
है जीवन कर्म प्रधान बिन कर्म नहीं कुछ मिलने वाला ,
लिखना ऐसा इतिहास जो हो न कभी मिटने वाला ,
हो धीर वीर रणधीर ये पुरुषों की मर्यादा है
ये अंत नहीं ये आधा है, मृत्यु तो केवल बाधा है।
समाधान की खोज में जब
उँगलियाँ तुम पे उठती है ,
तुम्हारी लाठियों से तब
सैकड़ों हड्डियां टूटती हैं ,
जड़े जिनकी कटी हुईं हो वो कितना टीक पाएंगे ,
थोड़ी कोशिश के बाद खुद ब खुद मर जायेंगे,
क्या उम्मीद दे रहे उनको तुम
जो उम्मीदों से हारे हैं ,
वो क्या लड़ेंगे भगवानों से
जो सरकारों से हारे हैं जो सरकारों के मारे है,
खिलाफ खड़ा हो उसे मारा , क्या सही निशाना साधा है
ये अंत नहीं ये आधा है,
मृत्यु तो केवल बाधा है।
मृत्यु तो केवल बाधा है।
