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Aditya Narayan Singh

Abstract Action Inspirational

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Aditya Narayan Singh

Abstract Action Inspirational

ये अंत नहीं ये आधा है , मृत्यु तो केवल बाधा है।

ये अंत नहीं ये आधा है , मृत्यु तो केवल बाधा है।

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ये अंत नहीं ये आधा है , मृत्यु तो केवल बाधा है। 


मौन तुम बैठे रहो हाथ पे हाथ धर के,

वो लड़की जिन्दा रहेगी बार बार मर के ,

समय का जब चक्र चलेगा भ्रम तुम्हारा टूटेगा 

तुम भी परिवार से बिछड़ोगे और घर तुम्हारा छूटेगा ,

हाथ जिनके रंगे है खून से पर लिबास कितना सादा है 

ये अंत नहीं ये आधा है मृत्यु तो केवल बाधा है। 


बीज लगाया किसी और ने , और फसल तुमने काटी 

अपनी अदक्षता को छुपाने , खैरात यहाँ तुम बांटी ,

एक सूरज अस्त हुआ तो चारों ओर शोर हो गया,

नेता रहा ईमानदार और आम आदमी चोर हो गया ? 

सुबह दोस्त और शाम को दुश्मन ,

ये सियासत थोड़ी ज्यादा है , 

ये अंत नहीं ये आधा है, मृत्यु तो केवल बाधा है। 


पग में तेरे चुभे शूल पर तू अविरल चलता रहे ,

और पुरुष की पहचान यही की डंक सहे हँसता रहे ,

है जीवन कर्म प्रधान बिन कर्म नहीं कुछ मिलने वाला ,

लिखना ऐसा इतिहास जो हो न कभी मिटने वाला ,

हो धीर वीर रणधीर ये पुरुषों की मर्यादा है 

ये अंत नहीं ये आधा है, मृत्यु तो केवल बाधा है। 


समाधान की खोज में जब 

उँगलियाँ तुम पे उठती है ,

तुम्हारी लाठियों से तब 

सैकड़ों हड्डियां टूटती हैं ,

जड़े जिनकी कटी हुईं हो वो कितना टीक पाएंगे ,

थोड़ी कोशिश के बाद खुद ब खुद मर जायेंगे, 

क्या उम्मीद दे रहे उनको तुम 

जो उम्मीदों से हारे हैं ,

वो क्या लड़ेंगे भगवानों से 

जो सरकारों से हारे हैं जो सरकारों के मारे है,

खिलाफ खड़ा हो उसे मारा , क्या सही निशाना साधा है 

ये अंत नहीं ये आधा है,

मृत्यु तो केवल बाधा है। 

मृत्यु तो केवल बाधा है। 


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