उर्मिला
उर्मिला
वक्त तन्हाई का नाम है उर्मिला, संगिनी जो लखन की वहीं उर्मिला।
साथ रह ना सका, साथ जिसका मिला, उर्मिला उर्मिला, उर्मिला उर्मिला ।
अश्क लोचन तुम्हारे कभी छू ना सके, त्याग तपस्या की अनमिट कहानी भी है।
होंठों पर हंसी अश्कों को उर धरे, वेदना की करुण वो निशानी भी है।
आदेशों में बंधी उम्मीदों को लिए ,ना किसी से शिकायत किसी से गिला।
उर्मिला उर्मिला......।।
वक्त चौदह बरस, गए नयना तरस, फूल गूलर को जैसे तरसता कोई।
वो विरह की तपन, जैसे चातक कोई, मेघ स्वाती का कोई बरसता नहीं।
छवि मन में बसाए लखन लाल की, कार्य सब वो किया जो लखन से मिला।
उर्मिला उर्मिला.......।।
