वन्दना
वन्दना
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हे ! हंसवाहिनी, मां जग जननी , हे! ज्ञानदायिनी, मां तम हरणी ।
हे ! पुष्पासिनी,मां सरस्वती, हे! बुद्घिदात्री, मां मंगलकरणी ।
है भीर पड़ी मां दया करो ,जग के उर का तम दूर करो ।
छल, द्वेष ,धरा से दूर करो,निर्मल हृदयी संतान करो ।
स्वच्छंद हवा चहुं ओर बहे, मन तृष्णा से सब हों स्वतंत्र ।
हर नंद (पुत्र) विवेकानन्द बने , नूतन ये हिंदुस्तान करो ।
