शहीद
शहीद
थम गया वक्त रुक गई हवाएं ,
रुदन कर रही दसों दिशाएं।
सूरज की छटा कुछ मंद हुई,
शशि की आभा विछिन्न हुई।
नत मस्तक हो नमन कर रहा,
गगन शौर्य की कथा कह रहा।
व्यथित हिमालय शीश झुकाए,
नमन कर रही शत बार घटाएं ।
जो भी सुना स्तब्ध रह गया,
शब्द बिना निः शब्द रह गया।
फिर से बेदर्दी ये काल हुआ ,
मां का आंचल फिर लाल हुआ।
सबका अंतरमन था भर आया,
देख देख रक्त रंजित काया।
धीर वीर निर्भीक थे वो,
सागर से गंभीर थे वो।
वो मेघों की भांति गरजते थे,
पर समय के संग बरसते थे।
सब मिल कर सम्मान करें,
झुक कर उन्हें प्रणाम करें।
चरणों में अर्पित चमन करें,
आवो सब मिलकर नमन करें।