उमड़-धुमड घन आए गगन में
उमड़-धुमड घन आए गगन में
उमड़-घुमड़ घन आए गगन में,
बिजूरी चमके डर लागे मन में।
दादुर, मोर और पपीहाँ बोले,
कोयल कुहूंँ कुहूंँ कर के डोले,
शितल पवन सररर सर सरके,
उमड़-घुमड़ घन आए गगन में।
गरज गरज कर बादल बरसे,
मेघ मृदंगी मधुर ताल बजावे,
धा तीरकिट धा परान लगावे,
उमड़-घुमड घन आए गगन में।
छूम छननननन पायल बाजे,
राधा श्याम की पुकार लगावे,
मुरली" मीठी तान श्याम बजावे,
तत थेई तत थेई नृत्य जमावे।
संगीतमय रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली"
(जुनागढ-गुजरात)
