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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Thriller

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Thriller

उमड़-धुमड घन आए गगन में

उमड़-धुमड घन आए गगन में

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उमड़-घुमड़ घन आए गगन में,
बिजूरी चमके डर लागे मन में।

दादुर, मोर और पपीहाँ बोले,
कोयल कुहूंँ कुहूंँ कर के डोले,
शितल पवन सररर सर सरके,
उमड़-घुमड़ घन आए गगन में।

गरज गरज कर बादल बरसे,
मेघ मृदंगी मधुर ताल बजावे,
धा तीरकिट धा परान लगावे,
उमड़-घुमड घन आए गगन में।

छूम छननननन पायल बाजे,
राधा श्याम की पुकार लगावे,
मुरली" मीठी तान श्याम बजावे,
तत थेई तत थेई नृत्य जमावे।


 संगीतमय रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (जुनागढ-गुजरात)


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