मुझे कबूल है
मुझे कबूल है
सुख से भरी सुबह हो, दुःखों से भरी शाम हो,
अगर तेरा हरपल साथ हो, तो सब मुझे कबूल है।
राते पर कांटे बिछाये हो, मुसीबत का पहाड हो,
अगर तू सफ़र में साथ हो, तो सब मुझे कबूल है।
इश्क की अमीरात हो, जुदाई की पीड़ा हो,
अगर तेरे मन में मेरी याद हो, तो सब मुझे कबूल है।
दिन का उज़ाला हो, घोर अंधेरी रात हो,
अगर तेरा चमकता चेहरा हो, तो सब मुझे कबूल है।
सर्दी की शीत लहर हो, सूरज की गर्म धूप हो,
अगर तेरे इश्क की बारिश हो, तो सब मुझे कबूल है।
"मुरली" तू मेरे दिल में हो, इश्क का आलिंगन हो,
अगर मेरी जिंदगी तेरे नाम हो, तो सब मुझे कबूल है।
रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली "(ज़ुनागढ - गुजरात)

