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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

आलिंगन

आलिंगन

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रात पूरी हो गई और महकती सुबह हो हुई,
दिल मेरा धड़कते ही मुझे तेरी याद आ गई,

रात को ख्वाब देखा तेरे चमकते चेहरे का,
तेरा चेहरा देखकर इश्क की तड़प बढा गई।

आंख खोलकर देखा, तू सामने खडी हुई,
नज़र मिलाकर मुझ पे तू ज़ाम छलका गई,

मुझे एसी असर हुई छलकती हुई ज़ाम की,
बिना ज़ाम पिये तू मेरा रोम रोम लहरा गई।

तेरे यौवन की महक मुझको भान भुला गई,
मुझे मदहोंश देखकर सरकती हवा रुक गई,

एसी रहमियत की तुने तेरे इश्क की "मुरली",
मुझे आलिंगन देकर तू खुदा को शरमा गई।

 रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ - गुजरात)


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