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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

क्यूंँ न कहूंँ कि

क्यूंँ न कहूंँ कि

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तुम मेरे नयन हो,
तुम नयन दृष्टि की हो,
मै तुम को क्यूँ न कहुँ कि,
तुम ही मेरी दुनिया हो।

तुम मेरा दिल हो,
तुम दिल की धड़कन हो,
मै तुम को क्यूँ न कहुँ कि,
तुम मेरे दिल की रानी हो।

तुम मेरी आराधना हो,
तुम मेरे प्यार की ज्योत हो,
मै तुम को क्यूँ न कहुंँ कि,
तुम मेरे प्यार की देवी हो।

तुम मेरे प्यार का राग हो,
तुम मेरे प्यार का आलाप हो,
मै तुम को क्यूंँ न कहुंँ कि,
तुम "मुरली" की जान हो।

 रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ-गुजरात)


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