उधार की मुहब्बत
उधार की मुहब्बत
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उधार की मुहब्बत का
सिला किसे मिले
और किस ज़ानिब मिले
उधर तो नक़द के
कोई आसार ही नहीं
बिना ब्याज़ चुकता किये पुराना
कहते है बिना उधार कोई यारों
यहाँ व्यापार ही नहीं
चलो अब नया कुछ उधार दो हमें
हम कोई पुराने साहूकार तो नहीं
तुमने ही दामन भरा है खाली अक़्सर
अब न कहना हम कोई तुम्हारे
सरमायेदार तो नहीं
प्यार की बातों कहाँ
धंधा लाते हो दोस्त
प्यार से किसी को यहाँ
सरोकार ही नहीं
चलो अब मुस्कुराओ
हम दोस्त है तुम्हारे
अब न कहना हमसे
हम तुम्हारे यार तो नहीं।