Shailaja Pathak
Fantasy
धरती है ऊपर, आकाश जमी पे,
बादलो में उड़ रही हूं मैं,
बिजली की पहन साड़ी, सितारे जड़ी,
चंद्रमा को बना चुड़ामणि
उड़ रही हूँ मैं,
उड़ रही हूँ मैं।
रामायण में मह...
मै नदी हूं
बोलो ना
अंगूठी
मेरा चांद
रेल की पटरी
कृति
मैं और तुम
अंगारे
यादें
आती है तकिये पर हर रात चुलबुली, शोख़ सी अपनी तमाम बातें लेकर पढ़ने को मेरी ख़ामोशी आती है तकिये पर हर रात चुलबुली, शोख़ सी अपनी तमाम बातें लेकर पढ़ने को म...
आह ! हृदय विदारक चीख मेरे होठों से फूट पड़ी ! आह ! हृदय विदारक चीख मेरे होठों से फूट पड़ी !
यहाँ सब लोग हँसते है यहाँ सब लोग हँसते है
इस स्वप्निल संसार का...न आदि न अंत। इस स्वप्निल संसार का...न आदि न अंत।
प्रेम अलंकृत तुम से ही है प्रेम अलंकृत तुम से ही है
अच्छा लगता है तुम्हारा होना अच्छा लगता है तुम्हारा होना
अकेले ही जीता रेह, और अकेले ही लौट जाना। अकेले ही जीता रेह, और अकेले ही लौट जाना।
बेबसी ही वजह थी दुश्मनी की, वरना फसाद कोई चाहता नहीं था। बेबसी ही वजह थी दुश्मनी की, वरना फसाद कोई चाहता नहीं था।
एक अरसा बीत गया, दम भर कर मुस्कुराये हुए। एक अरसा बीत गया, दम भर कर मुस्कुराये हुए।
मैं उठी सहमकर पलकें झपकायी, फिर गुनगुनायी उसे देखकर मैं उठी सहमकर पलकें झपकायी, फिर गुनगुनायी उसे देखकर
शनिवार और रविवार के बीच काश होता एक दिन और छुट्टी का, शनिवार और रविवार के बीच काश होता एक दिन और छुट्टी का,
मर्यादा की बेड़ियों में, अब ना कहो कुढ़ने को। तोड़ कर ये बेड़ियाँ, आसमान से जुड़ने दो। मर्यादा की बेड़ियों में, अब ना कहो कुढ़ने को। तोड़ कर ये बेड़ियाँ, आसमान से...
ताज़ा हुई यादें मोह्ब्बत की उस गुलबदन से मुस्कुरा दिया हमने और बस बेकस बनकर रह गया ताज़ा हुई यादें मोह्ब्बत की उस गुलबदन से मुस्कुरा दिया हमने और बस बेकस बनकर र...
स्वेच्छा को साकार जो कर दे, बनना ऐसे तुम विरले। स्वेच्छा को साकार जो कर दे, बनना ऐसे तुम विरले।
जहां पहुंचने का ख्याल भी न आया हो किसी को हाँ मैं ऐसी ही किसी जगह जाना चाहता हूँ। जहां पहुंचने का ख्याल भी न आया हो किसी को हाँ मैं ऐसी ही किसी जगह जाना चाहता...
डाइरी के बचे हुए पन्ने डाइरी के बचे हुए पन्ने
छूटा वक्त फिर से न रुबरु हो जाए, दराजों में सहेजें लम्हें न बिखर न जाए। छूटा वक्त फिर से न रुबरु हो जाए, दराजों में सहेजें लम्हें न बिखर न जाए।
रख लेती हूँ तुम्हें हथेली पर शबनम बन शरमाती क्यों है छोड़ चलूँ मैं तुमको जब आवाज़ देकर रख लेती हूँ तुम्हें हथेली पर शबनम बन शरमाती क्यों है छोड़ चलूँ मैं तुमको जब...
ना खींच के हाथ उसका छल से तोड़ पाएगा लक्ष्मण रेखा का घेरा ना खींच के हाथ उसका छल से तोड़ पाएगा लक्ष्मण रेखा का घेरा
आसमान की ऊँचाइयों को छूना है उसका हुनर आसमान की ऊँचाइयों को छूना है उसका हुनर