तुम्हारे बाद..!
तुम्हारे बाद..!
कुछ भी तो नहीं बदला
ना सुबह
ना शाम.
और ना ही रात के आने जाने का वक़्त..!
वही सुबह है जैसे तुम्हारे होने पर होती थी
शाम भी बिल्कुल वैसी ही है....!
और रात..?
रात तो और गहरा गई है..!
पता नहीं..
पर....!
सुना तो नहीं है
पंछियों के चहचहाने की आवाज भी...!
शायद....
पर है तो सबकुछ
बस अगर कुछ गुम है तो
तुम नहीं हो बस..!
मैं भी अब वैसी नहीं
जैसे तुम देखा करते थे
मैं रही ही नहीं अब
तुम्हारे बाद....!