छोटे दुकानदारों की दशा
छोटे दुकानदारों की दशा
मोल भाव तुम उनसे करते,
रोटी नहीं नसीब।
कपड़ा न है पूरे तन पे,
तुम मांगो बक्शीश।।
डांट डपट सामान छुडाओ,
ओने-पौने दाम।
मरी आत्मा उन सबकी ही,
करते ऐ़से काम।।
माल में तुम मुंह मांगा देते,
और बक्शीशी दाम।
शान समझते उन्हें लुटाकर,
जिन्हें फरक न दाम।।
मानवता का फर्ज निभाओ,
करके ऊंचे काम।
अकल लगाओ सही-गलत क्या,
कैंसे हो नादान।।