Sunil Gupta

Tragedy

4.7  

Sunil Gupta

Tragedy

छोटे दुकानदारों की दशा

छोटे दुकानदारों की दशा

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मोल भाव तुम उनसे करते,

  रोटी नहीं नसीब।

  कपड़ा न है पूरे तन पे,

  तुम मांगो बक्शीश।।


डांट डपट सामान छुडाओ,

  ओने-पौने दाम।

  मरी आत्मा उन सबकी ही,

  करते ऐ़से काम।।


माल में तुम मुंह मांगा देते,

 और बक्शीशी दाम।

 शान समझते उन्हें लुटाकर,

 जिन्हें फरक न दाम।।


मानवता का फर्ज निभाओ,

  करके ऊंचे काम।

 अकल लगाओ सही-गलत क्या,

  कैंसे हो नादान।।



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