J P Raghuwanshi

Tragedy

4.5  

J P Raghuwanshi

Tragedy

बेरोजगारी

बेरोजगारी

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बड़ी चिंतित है, पीढ़ी हमारी।

खाए जात है, बेरोजगारी।।


तन,मन,धन से, बेटा पढ़ाओ,

रूखो सूखो हमने खाओ,

इंटरव्यू में निकर न पाओ,

कह रहें- ऊंची है जात तुम्हारी,

खाए जात है, बेरोजगारी।।


बदलो भैया,ऐसी शिक्षा,

जा मे मांगने पढ़ है भिक्षा,

सामान्य जाति की कठिन परीक्षा,

गाली देहें पीढ़ी आने वाली,

खाए जात है, बेरोजगारी।।


कम पढ़ पाए तो हल से गए,

ज्यादा पढ़ गए तो घर से गए,

तब तक माता-पिता बूढ़े भयें,

देखी न जाए लाचारीं,

खाए जात है, बेरोजगारी।।


 ऊंची-ऊंची डिग्री पाई,

फोटोकॉपी बहुत कराई,

एक भी भैया काम न आई,

आधी उम्र होवें बारी,

खाए जात है, बेरोजगारी।।


पेपर तीन वरष दय हो गए,

आधे ओवर ऐज ही हो गए,

क्वालीफाई भी अब हो गए,

पद नैया अब भैया खाली,

खाए जात है बेरोजगारी।।


रात दिना पढ़ पेपर निकारो,

कोचिंग फीस खों बैच दओं बारो,

बेटा फिर रहों है मारो-मारो,

फिर भी दया नहीं आई,

खाए जात है बेरोजगारी।।

 



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