संक्रांति..!!
संक्रांति..!!
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लेकर फिज़ाओं में मौसमी बदलाव
छाया है खुमार है ख़ुशियों भरा त्यौहार
है लाई चिऊडा का साथ घुली तिल संग गुड की मिठास,
ख़ास है गज़क का मखमली अंदाज
बंधी रंग बिरंगी पतंग संग सब रिश्तों की डोर
भक्क कटे जैसे शब्दों का हर ओर है शोर
आज का दिन सुहाना और सुहानी थी भोर
साँझ का भी कुछ विशेष है ठाठ बाट
देश में मची थी संक्रांति की धूम चाहूँ ओर।