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Pragyaa Amberkar

Tragedy

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Pragyaa Amberkar

Tragedy

चातक की पीड़ा

चातक की पीड़ा

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काले-सफेद रंगों वाला,

प्यारा न्यारा सुंदर पक्षी,

मोर मुकुट वाला पक्षी,

इसको कहते हैं चातक,

कोई कहता पपीहा,


कोई कहे मेकेवा,

मिलता है एशिया और अफ्रीका में,

इसकी चर्चा जग भर है,

इसका‌ दर्द सभी है जाने,

संगिनी संग दिन भर रहता,

पर शाम होते बिछड़ जाता है,


इसका कृदन्त दिल को खलता,

कोई ना कुछ कर पाता,

प्रेमी-युगल की तड़प है ये,

इसकी एक खासियत और है,


स्वाति नक्षत्र की बूंदें ही स्वीकार करता है,

फिर कितनी भी प्यास लगे,

अपनी चोंच न खोलता,

मरना पसंद करता है,

पर जीता अपनी जिद पर ही,


उनका यह संदेश है जग को,

जीवन ऐसा जीना हो,

जिस पर अपने ही पैमाने हो,

मर जाओ जिन पैमानों पर,

मिट जाओ अपने दीवाने पर।


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