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Pragyaa Amberkar

Children Stories

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Pragyaa Amberkar

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मां मुझे चंदा मामा ले आओ ना

मां मुझे चंदा मामा ले आओ ना

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मां, मेरे लिए चंदा मामा ले आओ ना,

मेरी गुड़िया का अपना घर ही नहीं है,

वह खलती है सबको,

मैं अपनी गुड़िया का गांव चंदा पर बसाऊंगी,

मां, मेरे लिए चंदा मामा ले आओ ना।


मैं वहां उसका परियों का देश बनाऊंगी,

जिसमें चॉकलेट का बगीचा होगा,

मैं वहाँ आइस्क्रीम का पेड़ लगाऊंगी,

टॉफी के पत्ते होंगे उसमें,

बर्फ़ की घसरगुंडी लगाऊंगी,

रसना का तालाब बनाऊंगी,

मां, मेरे लिए चंदा मामा ले आओ ना।


मेरी गुड़िया बगीचे में खेलेगी,

भूख लगेगी तो चॉकलेट खाएगी,

बीच-बीच टॉफी भी चटकारेगी,

बर्फ़ की घसरगुंडी का बहुत मज़ा उड़ाएगी,

प्यास लगी तो रसना से प्यास बुझाएगी,

मां, मेरे लिए चंदा मामा ले आओ ना।


मेरी गुड़िया मेरे संग पढ़ेगी और होमवर्क भी करेगी,

समझदार बन जाएगी,

पढ़ी लिखी गुड़िया मेरी दुनिया को समझ सिखाएगी,

मां, मेरे लिए चंदा मामा ले आओ ना।


मैं और मेरी गुड़िया वहीं बसेंगे,

गिद्धों से सुरक्षा के लिए 'जेड ' सिक्योरिटी लगवाऊंगी,

मैं भी बचूंगी, वह भी बचेगी,

सुरक्षित हम वहीं रह जाएंगे,

मां, मेरे लिए चंदा मामा ले आओ ना।


मेरी गुड़िया न हिंदू होगी,

न मुस्लिम होगी,

वह इंसान का चोला पहने,

इंसाफ की देवी होगी,

मां, मेरे लिए चंदा मामा ले आओ ना।


अंजू दीदी की तरह ब्याह कर वह कहीं नहीं जाएगी,

मैं उसका गुड़ा वहीं ले आओगी,

ब्याह करके वह और वहीं बस जाएगी,

मां, मेरे लिए चंदा मामा ले आओ ना।


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