तुम्हारा कॉल
तुम्हारा कॉल
मैं रूठती थी तो मुझे मनाने के लिए
तुम हर एक घंटे पर कॉल करते थे
फोन पर बात नहीं होती थी तो
तुम घर आकर इंतजार करते थे
हमारे बीच तीसरे शख्स की मौजूदगी
तुम्हें तो हमेशा से ही खलती थी
हम नाराज़ होते ज़रूर थे लेकिन
हर बातें फोन पर ही चलती थी
कभी तुम रूठते कभी मैं रुठती
और फिर फोन का इंतजार करते थे
दिल कहता कि कुछ दिन रूठने दो
तब धड़कनों से भी बात करते थे
अब तुम्हारे विदेश जाने के बाद
कई दिनों से कॉल आता नहीं है
क्या हुआ होगा आज दिन भर
कोई भी सारे हाल बताता नहीं है
फोन की घंटी हर रोज बजती है
पर किसी और का नाम होता है
जो बिना बात किए सोता नहीं था
वो अब जाने कैसे चैन से सोता है