CHESS ( THE GAME OF LIFE)
CHESS ( THE GAME OF LIFE)
राजा का है बड़ा राज-पाठ
तनकर बैठा जैसे ठाठ-बाट।
खुद तो कदम चलता एक,
पर बचाने में है लगे अनेक।
सीधा हाथी, टेढ़ा घोड़ा,
सिपाही चला थोड़ा-थोड़ा।
ऊंट का भी अपना राज है,
सबकी चाल में एक अंदाज हैं।
जब सब हारे तब राजा रोवे,
सोचो आखिर अब क्या होवे।
जब सब लगाते अर्जी है,
तब रानी के चलती मर्जी है।
सारी चाल है उसके हाथ,
जीता दे जहां हों उसका साथ।
जाती तो रौनक लेकर जाती है,
हारी बाजी भी वही जिताती है।
अब हराने में लगा है हर कोई,
पर राजा चलता ना चाल कोई।
रानी को देख दुश्मन भाग जाता है,
उसके दम पर राजा जीत जाता है।
इसी में छुपा है रहस्य जिंदगी का,
सीखना होता है सबक जिंदगी का।
समझदार ने इसे खेल बनाया होगा,
इसी तरह सबको समझाया होगा।