मिली साहा

Romance

4.8  

मिली साहा

Romance

तुम नहीं जानते

तुम नहीं जानते

1 min
406


तुम नहीं जानते वो इंतजार जो इन आँखों ने किया है

आकर तो देखो इक बार क्या-क्या इस दिल ने सहा है 

ढूँढ रही हूँ अक्स तुम्हारा ही दिल की वीरान गलियों में

तुम नहीं जानते दर्द का घूँट जाने कितनी बार पिया है


बस यादें ही तो हैं तुम्हारी जो अब जीने का सहारा है

आखिर कैसी है ये मोहब्बत कैसा यह रिश्ता हमारा है

काश कि किस्मत की लकीरों में मोहब्बत ही ना होती

वैसे भी टूटे हुए दिल को मिलता कहाँ कोई सहारा है


दुनिया की भीड़ में हैं चेहरे कई पर तुम्हारा चेहरा नहीं

ख़ामोश हो रही ज़िंदगी तुम्हारी बांहों का जो घेरा नहीं

मौसम आते जाते हैं दिन ढलता और शाम भी होती है

ठहर गया है सफ़र, आता क्यों इंतजार का सवेरा नहीं


तुम नहीं जानते कितने चिराग जलाए इस इंतजार में

ज़माना क्या चीज़ है, खुद को भुला चुके इस प्यार में

सुनो धड़कनों की आवाज़, पुकारती है तुम्हें बार-बार

पर तुम सुध कहाँ लेते, हम हैं कि नहीं इस संसार में।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance