तुम मुस्कुराओ
तुम मुस्कुराओ
इरादतन कह दिया है
जो कुछ भी कहा है
दिमाग की बात कहूँ तो
यह सब बेवज़ह है
न उसूल है इसके
न रसूल ही इसके
फिर दिल कहता है
यह पाक़ दामन वफ़ा है
तुम मुस्कुराओ तो
खुशियां ही खुशियां
और हो जाओ उदास तो
उदास है सब खुशियां....
इश्क़ भी तुमसे और
आशिक़ी भी तुम हो
कुछ सोच लो तुम भी
और कुछ कह दो तुम भी
ख़ामोशी को भी अक़्सर
बदगुमां लोग इक़रार
समझ लेते हैं और
यह क़ायदा है उनका
वो बिना पूछे ही सादगी को
प्यार समझ लेते हैं.....