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तुम जो मिले

तुम जो मिले

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तुम क्या मिले हमराही, सहज हो गयीं राहें सनम,

तन-मन स्फूर्त हुआ मेरा, साँसे उमंग आयीं सनम।


मुद्दतों से स्थिर, समन्दर में हलचल मच गयी सनम,

हरश्रृंगार जो फूले, वीरान बगिया सुवासित हुई सनम।


जीवन चल रही सूनी राहों पर, चाह सो गयी थी सनम,

ठूँठ से पेड़ में कोंपलें उग आयीं, यौवन आ गयी सनम।


अधरों से अधर जो छुए, कृष्ण की बंशी बज उठी सनम,

रंगमहल चमके प्यार की रौशनी से, खुशियाँ छा गयीं सनम।


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