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रूठना क्या मेरे मन-- सरकता है वक्त, क्षण-क्षण। रूठना क्या मेरे मन-- सरकता है वक्त, क्षण-क्षण।
देखता है कौन भींगी पलकों को। देखता है कौन भींगी पलकों को।
प्रकृति में रूप आसमानी हूँ।। प्रकृति में रूप आसमानी हूँ।।
ये नौजवान कैसे, हम सोचें कैसे, संवारेंगे ये अपना हिंदुस्तान...?? ये नौजवान कैसे, हम सोचें कैसे, संवारेंगे ये अपना हिंदुस्तान...??
नए परिवर्तन के संग चलना पुरातन को ना छोड़ना कभी। नए परिवर्तन के संग चलना पुरातन को ना छोड़ना कभी।
कविताएं , देती हैं सामर्थ्य, स्वयं, सहर्ष जीने के लिए।। कविताएं , देती हैं सामर्थ्य, स्वयं, सहर्ष जीने के लिए।।
कि वो फूल भी होते हैं नागफनी और बबूल के। कि वो फूल भी होते हैं नागफनी और बबूल के।
एक यात्रा............ उगती भोर सबा, रौशनी और पृष्ठों में सिमटी..... यारी......... एक यात्रा............ उगती भोर सबा, रौशनी और पृष्ठों में सिमटी..... य...
सहेजने, धर्म सनातन सामने यक्ष प्रश्न का तांडव --------- अवतरित हो रहे। सहेजने, धर्म सनातन सामने यक्ष प्रश्न का तांडव --------- अवतरित ह...
तितलियां, अब कहीं नहीं दिख रहीं श्रृंगार विहीन हुआ, सारा वितान।। तितलियां, अब कहीं नहीं दिख रहीं श्रृंगार विहीन हुआ, सारा वितान।।