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Rashmi Ranjan

Abstract Inspirational

4.5  

Rashmi Ranjan

Abstract Inspirational

स्त्री हूं.....

स्त्री हूं.....

1 min
273


धरा हूँ, हवा हूँ, आग हूँ, पानी हूँ

वक्ष से लगा,

स्नेह- सुधा बरसा,

ऊष्मा और ऊर्जा दे

अमृत से सींच- सींच

सृजन और पालन-पोषण के लिए

युगों-युगों से, जरूरी जिंदगानी हूँ,

स्त्री हूँ-----

    प्रकृति में रूप आसमानी हूँ।।

झेलती, विभीषिका औ त्रासदी को

समेटती, बवंडर और आँधी को

प्रज्वलित करती, ध्येय-शिखा को

सींचती, प्रेम से दशा-दिशा को

श्वांसों और धड़कनों के लिए

नस- नस में बहती, रक्त की रवानी हूँ,

स्त्री हूँ-----

       प्रकृति में सत्य और शिवानी हूँ।।

तोड़ सकूँ, जीवन को

झकझोर सकूँ, अस्ति को

भस्म कर सकूँ, व्यष्टि को

प्लावित कर सकूँ, समष्टि को

पापियों/ व्यभिचारियों के लिये

दुर्गा- क्षमा का रूप-- काली भवानी हूँ,

स्त्री हूँ------

काल के क्षण-क्षण की, जीवित कहानी हूँ।।

स्त्री हूँ------

जिजीविषा और धैर्य की जीवित निशानी हूँ।।


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